नालंदा न्यूज़ / राजगीर | मलमास के समय में पहले वैतरणी नदी (Vaitarani River) में चहल-पहल रहती थी। घाट की साफ-सफाई करायी जाती थी। नगर पंचायत वहां पर पानी को साफ करने के लिए पाउडर व चूना का उपयोग करते थे। वहीं इस बार कोरोना काल (Corona nalanda update) का असर यहां साफ देखने को मिल रहा है। वैतरणी में गंदगी का अंबार लगा है। पानी में कई तरह के घास-फूस उग आये हैं। हालांकि प्रशासन ने मलमास मेला पर पाबंदी लगा दी है।
राजगीर (Rajgir Tourism) में इस बार मलमास मेला नहीं लगाया गया है। मलमास के पहले दिन पंडितों ने धार्मिक रीति से ध्वजारोपण किया था। उसके बाद यहां के सभी कुंडों में प्रशासन ने ताला लगा दिया था।
वैतरणी क्या है ?
वैतरणी के बारे में कहा जाता है कि पहले के समय में मेला के दौरान यहां पर लोग देश-विदेश से पिंड दान करने आते थे। यहां पर लोग गाय की पूंछ पकड़कर भवसागर पार करते थे। ऐसी मान्यता रही है कि जो लोग वैतरणी घाट (Vaitarani River) के एक छोर से दूसरे छोर को गाय की पूंछ पकड़कर पार कर लेते थे, तो वे जीते जी स्वर्ग पहुंच जाते थे। हालांकि इस बार ऐसा कुछ नहीं देखने को मिल रहा।
कोरोना काल में मलमास मेला नहीं लगने से यहां पर वीराना पसरा हुआ है। वहीं इस बार सालों से चली आ रही एक और परंपरा वैतरणी (Vaitarani River) में टूटती नजर आयी। पहले वैतरणी नदी घाट पर भी पंडा कमेटी से जो व्यक्ति यहां के घाट की बोली लगाते थे वे घाट के पास ध्वज या पताका फहराते थे। लोगों ने कहा कि सालों से चली आ रही परंपरा इस बार टूट गयी। बोली नहीं लगायी गयी तो इस बार पंडा कमेटी के लोगों ने यहां पताका तक नहीं फहराया।
हालांकि यहां पर एकाध लोगों का पिंड दान कार्यक्रम करते देखा जा रहा है। इस पावन मास में भी वैतरणी नदी घाट के पानी में जल कुंभी ने अपना डेरा जमा लिया है। पानी में कई तरह के कीड़े मकोड़े का जमावड़ा है। इसे साफ तक नहीं किया गया। लोगों ने कहा कि मेला नहीं लगा तो कम से कम इस मलमास के समय यहां पर सफाई करायी जानी चाहिए। इससे हमारी संस्कृति व धरोहर बची रहे। यह हमारी धरोहरों में से एक है। इसे मुख्यमंत्री (CM Nitish Kumar) ने जीर्णोद्धार कराया था। उसके बाद से प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह अपना अस्तित्व खोते जा रहा है।
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