दीपक विश्वकर्मा | स्वराज्य के अग्रदूत लाल-बाल-पाल का नाम भारतीय जनमानस पर स्वर्णाक्षरो में अकित है। लाला लाजपत राय, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और विपिनचन्द्र पाल को सम्मिलित रूप से लाल, बाल, पाल के नाम से जाना जाता था। भारतीय स्वाधीनता के संघर्ष में 1905 से 1917 तक की अवधि में वे उग्र राष्ट्रवादी विचारों के प्रबल पक्षधर और प्रतीक बने रहे। वे स्वदेशी के पक्षधर और सभी आयातित वस्तुओं के बहिष्कार के समर्थक थे।
लाल-बाल-पाल के प्रमुख नाम एवं महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय सच्चे अर्थो में भारत माता के एक क्रांतिकारी सपूत थे। वे क्रांति के द्वारा भारत की स्वाधीनता चाहते थे, भिक्षु बनकर नहीं। स्वाधीनता के संग्राम में वे लोकमान्य तिलक के राष्ट्रीय चिंतन से अत्यंत प्रभावित रहे।
30 अक्टूबर 1928 को लाहौर (वर्त्तमान में पाकिस्तान) में साईमन कमीशन विरोधी जुलूस का नेतृत्व के दौरान लाला लाजपत राय को अंग्रेजों की आततायी पुलिस के लाठियों से बुरी तरह घायल कर दिया और 17 नवंबर 1928 को उनका देहांत हुआ। यह इतनी बड़ी राष्ट्रीय क्षति थी कि पूरा देश शोक और गहरे आक्रोश में डूब गया और बर्बर अंग्रेज सरकार से उनकी शहादत का बदला लेने का संकल्प ले लिया।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास ने भारत के स्वराज्य के 75वें वर्ष (अमृत वर्ष) में स्वराज्य के अग्रदूत लाल-बाल-पाल के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने हेतु कृत संकलित है अभी दिनांक 08-08-2021 को लाला जी की जन्म भूमि जगराँव, लुधियाना (पंजाब) में जाकर वहाँ की मिट्टी को नमन किया और वहाँ का समाज और सरकार से सकारात्मक संवाद किये, लाला जी का पूरा परिवार इस अभियान के साथ है। सामूहिक निर्णय के अनुसार लाला जी की शहादत दिवस 17 नवम्बर को 2021 को उनकी जन्मभूमि जगराँव (लुधियाना) में राष्ट्रीय स्तर पर ‘‘स्वराज्य पर्व’’ का आयोजन किया जाना है, जिसकी तैयारी जोरो पर है। उसी क्रम जहाँ लाला लाजपत राय जी को जहाँ लाठी लगी और शहीद हुये, उस पावन भूमि को प्रणाम करने एवं वहाँ की मिट्टी लाने लाहौर (पाकिस्तान) जाने का कार्यक्रम महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर 2021 को तय हुआ। विदेश मंत्रलय के सक्षम अधिकारी से बात हो गई है और विधिवत् कार्रवाई शुरू कर दिया गया है।
भारत के स्वराज्य के 75वें वर्ष में पहली बार लाला लाजपत राय जी के शहादत को श्रद्धांजलि स्वरूप ‘‘स्वराज्य पर्व’’ के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया है, जो ऐतिहासिक है, उनके शहादत भूमि लाहौर (पाकिस्तान) की मिट्टी उनके जन्मभूमि जगराँव, लुधियाना (पंजाब) की मिट्टी में मिलाया जायेगा, यह देश के लिए अद्भुत क्षण होगा, जिसके लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास अनवरत् कार्य कर रहा है।
यह भी सौभाग्य है कि यह यात्र नालन्दा की ज्ञानभूमि विश्व धरोहर प्राचीन विश्वविद्यालय के भग्वनाशेष से शुरू किया जायेगा और तक्षशिला विश्वविद्यालय तक पहुंचेगा। पूरी यात्र शांति, भाईचारे और मनुजता पर आधारित होगी।
पाकिस्तान यात्रा के क्रम में निम्नलिखित स्थल का दर्शन हेतु पाकिस्तानी दूतावास से आग्रह:
1. लाहौर (पाकिस्तान) में शहीद लाला लाजपात राय जी को अंग्रेजों द्वारा लाठी से बुरी तरह पीट-पीट कर गंभीर रूप से घायल एवं प्राण त्यागने वाले स्थल का दर्शन करना एवं वहाँ की मिट्टी लाना है।
2. लाहौर जेल जहाँ शहीदे आजम भगत सिंह को बंद कर रखा गया था और फांसी दी गई थी, उसका दर्शन करना।
3. सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृता प्रीतम की हवेली का दर्शन करना है।
4. कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द से जुड़े स्थल का दर्शन।
5. प्राचीनतम तक्षशिला विश्वविद्यालय का स्थल का दर्शन करना।
भारतवासियों का मिल रहे नैतिक समर्थन एवं वैचारिक सहयोग के विश्वास की हम रक्षा करेंगे।