एक छात्र पर 50 लाख का सालाना खर्च, फिर भी नालंदा विश्वविद्यालय में नहीं बढ़ पा रही छात्रों की संख्या


NALANDA UNIVERSITY: हर साल 200 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट और 500 एकड़ में फैला विशाल परिसर, लेकिन बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय एक दशक बाद भी छात्रों को अपनी ओर खींचने में संघर्ष कर रहा है। स्थिति यह है कि नियमित पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे एक छात्र पर सरकार औसतन 50 लाख रुपये सालाना खर्च कर रही है, इसके बावजूद यहां छात्रों की संख्या बेहद कम है। यह आंकड़ा देश के किसी भी अन्य विश्वविद्यालय में प्रति छात्र होने वाले खर्च से कई गुना ज्यादा है।

  • दस साल और 500 एकड़ के विशाल परिसर के बावजूद छात्रों को खींचने में नाकाम रहा विश्वविद्यालय, ऑनलाइन कोर्स से भी नहीं बढ़ी रौनक

कहां है प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की शान?

NALANDA UNIVERSITY : प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की गौरवशाली विरासत को फिर से जीवित करने के उद्देश्य से स्थापित इस विश्वविद्यालय में सत्र 2024-25 के दौरान मास्टर और पीएचडी जैसे नियमित पाठ्यक्रमों में महज 402 छात्र ही पढ़ रहे थे। यह उस प्राचीन विश्वविद्यालय की तुलना में कुछ भी नहीं है, जहां 5वीं से 12वीं सदी के बीच देश-विदेश के दस हजार से अधिक छात्र ज्ञान प्राप्त करने आते थे। विदेश मंत्रालय द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले वर्षों में यह संख्या और भी कम थी।

विदेश मंत्रालय द्वारा संसद को उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार 2023-24 में छात्रों की संख्या 266 थी। उसके पहले के वर्षों में यह क्रमश 247, 240 तथा 173 दर्ज की गई है। इनमें विदेशी छात्र भी शामिल हैं, जिनकी हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है। 500 एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर भी शुरू हो चुका है। हालांकि, छात्रों की संख्या उस रफ्तार से नहीं बढ़ पा रही है। बता दें कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्मृति में की गई, जो 5वीं-12वीं सदी में शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था, जहां देश-विदेश के 10 हजार विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे।

छात्र बढ़ाने के प्रयास भी नाकाफी

छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 2018 में छोटी अवधि के ऑनलाइन कोर्स भी शुरू किए, लेकिन यह प्रयास भी कोई बड़ा बदलाव नहीं ला सका। इन कोर्सों से छात्रों की कुल संख्या में बढ़ोतरी तो दिखी, लेकिन यह हजारों तक नहीं पहुंच सकी। वर्ष 2024-25 में इन छोटे कोर्स में 868 छात्रों ने प्रवेश लिया, लेकिन विश्वविद्यालय का मुख्य आकर्षण, यानी नियमित मास्टर और पीएचडी पाठ्यक्रम, अब भी छात्रों के लिए तरस रहा है।

भारी-भरकम बजट और मामूली नतीजे

NALANDA UNIVERSITY: नालंदा विश्वविद्यालय को विदेश मंत्रालय हर साल संचालन के लिए 200 करोड़ रुपये की बड़ी धनराशि देता है। छात्रों से नाममात्र का शुल्क लिया जाता है। अगर केवल नियमित 402 छात्रों को आधार माना जाए, तो एक छात्र पर सरकार का सालाना खर्च लगभग 50 लाख रुपये आता है। यह आंकड़ा इस पूरी परियोजना की सफलता और सार्थकता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या पर एक नजर

वर्षमास्टर/पीएचडी छात्र संख्यालघु अवधि छात्र संख्या
2020-21173287
2021-22240258
2022-23247780
2023-24266575
2024-25402868

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PRASHANT KUMAR
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