एकंगरसराय | नालंदा जिले का सबसे पुराना विश्व बंधू संस्कृत उच्च विद्यालय, तेल्हाड़ा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। आठ कमरों से सुसज्जित दो मंजिला इमारत अब ढह चुका है। विद्यालय में मात्रा एक कमरा ही बचा जिसमें शिक्षकों का कार्यालय एवं दसवीं की कक्षा चलती है। विद्यालय का अपना बड़ा खेल मैदान है, जिसके चारों तरफ अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो चुका हैं।
किसी समय छात्रा-छात्राओं से गुलजार रहने वाला यह विद्यालय आज भूतबंगले जैसी हालत में तब्दील हो चुका है, जिसे पूछने वाला तक कोई नहीं है। इस विद्यालय में पूर्व में जहां संस्कृत के विद्वान पंडित और आचार्य पदस्थापित थे। यहां वेद, उपनिषद, ज्योति साहित्य, भाषा विज्ञान के अलावे रामचरितमानस आदि का पाठ पढ़ाया जाता था। लेकिन समय के करवट लेते हीं इसकी सारी व्यवस्था चैपट हो गयी।
विद्यालय के सभी कमरे ध्वस्त
इस विद्यालय में आधा दर्जन शिक्षक, लिपिक एवं एक आदेशपाल की भी नियुक्ति है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रबोध कुमार प्रवीण ने बताया कि विद्यालय के सभी कमरे ध्वस्त हो चुके हैं और विद्यालय के जमीन पर दबंग अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। विद्यालय भवन नहीं रहने से छात्रा-छात्राओं की पढ़ाई में कापफी कठिनाई हो रही है।
उन्होंने बताया कि एक दशक पूर्व तक इस विद्यालय में हॉस्टल की भी व्यवस्था थी, जिसमें रहकर सैकड़ों छात्रा अध्ययन किया करते थे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिला प्रशासन, बिहार सरकार, शिक्षा विभाग एवं अन्य जनप्रतिनिध्यिों को लिखित आवेदन देकर कार्रवाई की गुहार लगायी है, लेकिन प्रतिपफल अभी तक शून्य हीं है।
इस विधालय को 70 के दसक से एक एक कर मंजिल ध्वस्त हुआ फिर एक एफ कर छ्त फिर एक एक ईट ध्वस्त होना हुआ मैने देखा है । 90 के दसक मे हमने शिक्षको के साथ मिलकर बिहार शिक्षा विभाग को लिखित में खुद जाकर शिकायत पत्र दिया था । हमें आश्वासन दिया गया था कि हम Action जल्दी लेगें । कई वार . Reminder देने के बाद भी कोई Action नहीं हुआ था बाद मे हमेशा जबाव मिलता था सरकार के पास अभी fund नहीं है ा fund आने पर कार्यवाही करगें ‘ 9० के दशक से आज २०२० हो गया हालात आप के सामने है।