नालंदा (राजगीर, राजीव लोचन) | थरकते हीरो व बल खातीं हीरोइनों को राजगृह के जंगलों में देखने की लालसा अब शीघ्र ही पूरी होगी। यहां फिल्स सिटी के साथ ही आईटी सिटी के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। उनदोनों के निर्माण के लिए तकनीकी मंजूरी मिल गयी है। प्रशासनिक स्वीकृति के लिए इनकी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) सरकार के पाद भेजी गयी हैं।
उम्मीद है कि इस हफ्ते स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा। एक माह में निर्माण एजेंसी का नाम फाइनल करके सितंबर के पहले हफ्ते से निर्माण कार्य शुरू कर दिये जाने की पूरी संभावना है।
कबतक बनेगा IT सिटी
फिल्म सिटी (Film City Rajgir) व आईटी सिटी (IT City Rajgir) के भवनों के निर्माण कार्य 3 साल में पूरे कर लिये जाएंगे। इनकी बाउंड्रीवाल का निर्माण पूरा कर लिया गया है। इनके लिए वर्ष 2013 में भूमि का अधिग्रहण किया गया था। जैसे-जैसे बड़े प्रोजेक्ट धरातल पर उतरने लगे हैं, लोगों को आशा बंधने लगी है कि सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) द्वारा राजगृह (Rajgir) के विकास के लिए खींचा गया खाका साकार होने लगा है।
राजगृह की आईटी सिटी हैदराबाद के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी होगी। लेकिन, यह हैदराबाद आईटी सिटी से कई मायने में अत्याधुनिक होगी। चाइना मेड चिप्स को बाय-बाय कहने के बाद बिहार मेड चिप्स व अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान देशभर के जरूरतों को पूरा करेंगे।
फिल्म सिटी की बाउंड्री दो फेज में 1180 मीटर लंबी बनायी गयी है। वहीं आईटी सिटी की बाउंड्री दो फेज में 2860 मीटर लंबी बनी है। साथ ही, वाद-विवाद केन्द्र की बाउंड्री 1210 मीटर लंबी है। इन सबों पर 5 करोड़ 30 लाख रुपये की लागत आयी है।
633 करोड़ की लागत से बनेगा स्टेडियम
इसके सटे विश्वस्तरीय स्टेडियम (Rajgir Cricket Stadium) का निर्माण भी काफी तेजी बनाया जा रहा है। यह जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा। आने वाले सालों में राजगीर का यह इलाका विश्व पटल पर उभर कर सामने आयेगा। सीएम नीतीश कुमार की सोच के कारण ही मोरा, ठेरा, कटारी, बेलदार बिगहा, हिन्दूपुर, नीमापुर, बढ़ौना, मेयार, मुदफ्फरपुर, पिलखी, महादेवपुर, जत्ती, कुबड़ी, नेकपुर, चैनपुर, फतेहपुर, गोरौर, खरजमा, बड़हरी, चकपर, सबलपुर सहित दर्जनों गांवों की जमीनों की कीमत आसमान छूने लगी है।
पहले यहां की जमीन कौड़ी के भाव बिकती थी।देश के कोने-कोने के लोगों की चाह वहां पर अपना एक आशियाना बनाने की हो गयी है। इस कारण लोग जमीन लेने के लिए भी लालायित हैं। सीएम की सोच किसानों के लिए वरदान बन गया है। राजगीर से महज दो किलोमीटर पश्चिम बढ़ने पर ही योजनाओं का खाका धरातल पर दिखने लगता है।
यह रिपोर्ट मूल रूप से हिन्दुस्तान दैनिक अख़बार में पहले प्रकशित की जा चुकी है.
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