नालंदा रिपोर्टर बिहारशरीफ। अगले वर्ष बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं को स्कूल बंद रहने के कारण अभी से ही परीक्षा का भय सताने लगा है। अप्रैल में नये सत्र की शुरुआत होने के बावजूद कोरोना के लॉकडाउन के कारण अब तक विद्यालय लगातार बंद है।
सरकारी विद्यालयों से लेकर सभी सीबीएसइ विद्यालयों में ताले लटक रहे हैं तथा जुन-जुलाई तक भी स्कूलों के खुलने के आसार नहीं आ रहे हैं। ऐसे में घरों में बंद विद्यार्थी जैसे-तैसे टीवी और मोबाइल पर थोड़ी, बहुत पढ़ाई कर रहे हैं। वो भी किताबों के अभाव में आधी बातें ऐसे ही छूट जा रही है।
इस संबंध में कई विद्यार्थियों ने बताया कि कुछ निजी विद्यालयों द्वारा किताबें अवश्य उपलब्ध करायी गयी है, लेकिन जब तक कोई बताने वाला नहीं रहेगा तो अच्छे ढंग से पढ़ाई नहीं हो सकती है।
दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों के बच्चों को तो अब तक किताबें भी नहीं मिल सकी है। ऐसे में 10वीं तथा 12वीं के छात्र-छात्राओं को अगले वर्ष की बोर्ड परीक्षा पास करने की सर्वाधिक चिंता सता रही है।
टीवी और मोबाइल पर पढ़ाई का विशेष लाभ नहीं
कोरोना के लॉकडाउन के बीच ही कई निजी विद्यालयों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की गयी थी। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा भी दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई की जा रही है। किताबें भी ऑनलाइन उपलब्ध करा दी गयी है। हालांकि अधिकांश विद्यार्थियों का कहना है कि लगातार टीवी और मोबाइल पर पढ़ाई करना एक कठिन कार्य है।
क्लास रूम में पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं
लगभग दो-ढाई महीने के ऑनलाइन पढ़ाई के अनुभव के आधार पर अब विद्यार्थी यह मानने लगे हैं कि चाहे जो कुछ उपाय किया जाये, लेकिन क्लास रूम में पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है। यदि अगस्त-सितंबर में स्कूल खुलते भी हैं तो फिर पढ़ाई के लिए काफी कम समय मिलेगा। इसका प्रभाव सीधे उनकी परीक्षा के रिजल्ट पर पड़ेगा।