नालंदा: नूरसराय-सिलाव (Noorsaray-Silav Road) के लोगों के लिए खुशखबरी है। नूरसराय और सिलाव को जोड़ने वाली एक नई सड़क का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है। इस 22.17 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण पर करीब 236 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सड़क के बनने से 25 से अधिक गांवों के लगभग 8 लाख लोगों को सीधा फायदा होगा।
दो चरणों में होगा निर्माण
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला चरण, नूरसराय से बेगमपुर तक (Noorsaray-Silav Road), पहले ही टेंडर फाइनल हो चुका है। वहीं, दूसरे चरण, बेगमपुर से सिलाव तक, के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है।
एसडीओ मनीष आनंद ने बताया कि नई सड़क के बन जाने से अंधना, कुंदी, नारी, जगदीशपुर-तियारी, मछलडीहा, पपरनौसा, कपसरी, बेगमपुर, बड़गांव, मुस्तफापुर, नेपुरा, गोरावां व सिलाव के लोगों को बेहतर सड़क का लाभ मिलने लगेगा। सड़क निर्माण के लिए 65 फीसदी जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। जबकि, 35 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की जा रही है।
कुंडलपुर सड़क की होगी मरम्मत :
गया-बिहारशरीफ एनएच-82 कुंडलपुर मोड़ से नंद्यावर्त महल तक की सड़क की मरम्मत करायी जाएगी। छठ से पहले कार्य पूरा कराने का लक्ष्य है। इसकी कुल लंबाई 4.385 किलोमीटर है। इसके निर्माण पर एक करोड़ 37 लाख रुपये खर्च आएगा। सड़क में 3.75 मीटर कालीकरण के अलावा दोनों तरफ एक-एक मीटर फ्लैंक होगा। अभियंता प्रमुख को डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) भेज दी गयी है। प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गयी है। शीघ्र ही मरम्मत का काम शुरू कराया जाएगा।
जैनियों के लिए महत्वपूर्ण है सड़क :
कुंडलपुर को जैन का एक धड़ा भगवान महावीर का जन्मस्थान मानता है। यहां काफी बेहतर मंदिर बनाया गया है। यहां हर साल 40 से 50 हजार जैनी देशभर से आते हैं। जबकि, लाखों अन्य धर्मावलंबी मंदिर में भगवान के दर्शन व पूजा-पाठ के लिए आते हैं। कुंडलपुर मंदिर के पास ही बड़गांव है। मान्यता है कि यहां का तालाब द्वापरकालीन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के रिश्तेदार शाम्ब ने स्नान किया था। इसके बाद उन्हें कुष्ठ रोग से छुटकारा मिली थी। इस कारण, यहां छठ महापर्व पर देशभर से लोग व्रत करने आते हैं।
पथ निर्माण विभाग द्वारा जिले में 42 सड़कें बनी हुई हैं। सभी सड़कें चकाचक हैं। इनकी मरम्मत पर खास ख्याल रखा जा रहा है। नूरसराय-सिलाव पथ (Noorsaray-Silav Road) का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू कराये जाने की उम्मीद है। पहले खंड की सारी कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गयी हैं। जबकि, दूसरे खंड के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रियाधीन है। – अशोक कुमार सिंह, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, आरसीडी
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