नालंदा : भगवान भरोसे कोरोना पॉजिटिव, 10 दिन बाद भी नहीं हुआ रिटेस्ट

हरनौत | जैसे-जैसे कोरोना वायरस (Covid-19) का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे स्वास्थ्य विभाग शिथिल होता जा रहा है। अब तो करोना पॉजिटिव रोगी को भगवान भरोसे छोड़ दिया जा रहा है। हरनौत बाजार में तीन लोग कोरोना संक्रमितम मिले थे।

10 दिन बाद भी न तो उनका हाल चाल लिया गया। न ही उनके सैंपल रिटेस्ट के लिए लिया गया। महज सूचना देने के बाद स्वास्थ्य विभाग बेफिक्र है। स्वास्थ्यकर्मी रोगी से मिलना भी मुनासिब नहीं समझते।

दवा देना तो दूर खाने-पीने, रहने सहने व सावधानियों के बारे में भी उन्हें जानकारी तक नहीं दी गयी। उनके Close Contact (नजदीकी संपर्क) में आए परिजनों की जांच तक कराना मुनासिब नहीं समझते। जबकि, आम लोगों के साथ ही बड़े-बड़े अधिकारी, नेता व अभिनेता इसकी चपेट में आ रहे हैं।

बावजूद स्वास्थ्य विभाग पहले जैसा गंभीर नहीं है। आशंका होने के बाद कोरोना जांच का सैंपल देने के लिए तौर तरीका बदल दिया गया है। उनके परिजन व संपर्क में आए लोगों में काफी दहशत है।

रिजल्ट के लिए कई दिन करना पड़ता है इंतजार

सैंपल देने के बाद रिजल्ट के लिए अब भी कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। मजबूरन घरों में ही मरीज की तरह पड़े रहते हैं। निगेटिव रिपोर्ट वालों को सूचना तक नहीं दि जाती। बहुत लोगों को घर में होम क्वारंटाइन की उचित व्यवस्था नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम पॉजिटिव रोगी से एक बार मिलने तक नहीं जाते हैं। इसके चलते व्यवस्थाएं नहीं देख पाते हैं। बिना देखे ही उन्हें होम क्वारंटाइन की इजाजत दे दी जाती है।

मोहल्ले व कार्यालय नहीं हो रहा सेनेटाइज

पॉजिटिव रोगी के घर व कार्यालय के आसपास सेनेटाइज करने से स्वास्थ्य विभाग हाथ खड़ा कर रही है। पहले कोरोना के मरीज मिलने पर उसे सील कर सेनेटाइज करने के साथ ही लोगों की स्क्रीनिंग होती थी।

एक कोरोना पॉजिटिव मरीज ने बताया कि 9 जुलाई को सैंपल लिया गया था। पांच दिनों बाद फोन पर केवल पॉजिटिव होने की सूचना दी गयी। आज तक कोई डॉक्टर तो दूर स्वास्थ्यकर्मी भी हालचाल पूछने नहीं आए हैं। सरकारी स्तर से दवा नहीं मिलने के कारण निजी डॉक्टर के सलाह पर जरूरी दवा ले रहे हैं।

अधिकारियों का क्या कहना है

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि सेनेटाइज करने के लिए कोई फंड नहीं है। कोरोना पॉजिटिव मरीज को होम क्वारंटाइन रहने की अनुमति दी जा रही है। घरवाले व आसपास के लोगों को स्क्रीनिंग करना जरूरी नहीं है। मरीज दिक्कत होने पर मोबाइल से संपर्क कर सकते हैं। वहीं अन्य लोगों में कोरोना लक्षण दिखाई देने के बाद ही जांच कराया जाता है। पॉजिटिव मरीज के लिए अस्पताल में आवश्यक दवाएं उपलब्ध है।

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