बिहारशरीफ। लॉकडाउन से सबसे भयावह आर्थिक संकट से इस वक्त कोई जुझ रहा है, तो वह जिले के सब्जी उत्पादक किसान हैं, इनकी उपज की कीमत आज पानी की बंद बोतल से भी कम हो गयी हैं। मतलब पानी के भाव भी सब्जियाँ नहीं बिक पा रही हैं। इससे सब्जी उत्पादक और विक्रेता को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
इधर, आम लोगों को पहली बार तपती गर्मी में हरी सब्जियों को भाव सुकून दे रहा है। इतनी सस्ती सब्जी बिकने से शहर के चौक-चौरहों पर सब्जी विक्रेताओं को भी चिंता बढ़ गयी है। आम दिनों में परवल, हरी धनिया पत्ती, टमाटर आदि की कीमत आसमान पर होती थी, परंतु लॉकडाउन ने इनकी कीमत को धरती पर पटक दिया है।
शाम की छह बजते ही पुलिस प्रशासन की वाहन गश्ती तेज कर देती है। इससे पहले सब्जी को औने-पौने दाम में बेचकर विक्रेता बाज़ार से घर लौटने के चक्कर में रहते हैं। हालांकि अधिकांश सब्जी खरीदार कोरोना संक्रमण बचाव के प्रति लापरवाह दिखते हैं, सब्जी विक्रेताओं के लाख मिनन्नत पर भी ग्राहक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं।
हरी सब्जियों की कीमत
आलू | 100 से 110 रुपये प्रति पांच किलो |
प्याज | 60 रुपये प्रति पांच किलो |
अदरक – लहसुन | 80 से 100 रुपये किलो |
हरी मिर्च | 10 से 20 रुपये प्रति किलो |
नेनुआ | आठ से 10 रुपये प्रति किलो |
परवल | 10 से 12 रुपये प्रति किलो |
भिंडी | 10 रुपये प्रति किलो |
करेला | 10 रुपये प्रति किलो |
टमाटर | 10 से 12 रुपये प्रति किलो |
बोड़ा | 10 से 12 रुपये प्रति किलो |
कच्चा आम | 25 से 30 रुपये प्रति किलो |
धनिया पत्ता | 8 से 10 रुपये में ढाई सौ ग्राम |
आम दिनों में गर्मियों में आलू के दाम हरी सब्जियों की अपेक्षा कम होती थी, परंतु कोरोना काल में आलू अन्य सब्जियों पर भाड़ी पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि जिले की हरी सब्जी बाहर नहीं भेजे जा रहे हैं। यहाँ की हरी सब्जी आम दिनों में नवादा, शेखपुरा समेत झारखंड, यूपी के कुछ क्षेत्रों में जाते थे, जो वर्तमान में परिवहन व्यवस्था को लेकर ठप है। वहीं जिले में यूपी और बंगाल से आलू का आगत बंद होने से लोकल आलू के भाव आसमान छूने लगे हैं।