Nalanda News: राजगीर मे पर्यटन विभाग, बिहार के सौजन्य से जिला प्रशासन नालंदा द्वारा 14 जनवरी से 21 जनवरी तक मकर मेला 2024 का आयोजन किया जा रहा है। राजगीर, जो कभी प्राचीन मगध साम्राज्य की राजधानी थी, आज एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल और ऐतिहासिक स्थल है। लेकिन हर साल मकर मेला (मकर संक्रांति) के अवसर पर यह शहर एक अलग ही रंग में रंग जाता है। यहां लगने वाला मकर मेला सदियों से चली आ रही परंपरा है, जो प्राचीन रीति-रिवाजों और आधुनिक उत्साह का अद्भुत संगम पेश करता है।
पहले पैदल और बैलगाड़ी से आते थे श्रद्धालु
इतिहास के पन्नों को उलटते हुए, हम पाते हैं कि प्राचीन समय में मकर मेला (मकर संक्रांति) के मेले में आने वाले लोग पैदल या बैलगाड़ी से आते थे। उस समय के समाज में सुरक्षा की चिंता अधिक थी, इसलिए लोग अपने साथ भाले और तलवार जैसे हथियार भी लाते थे। मेले में होने वाले व्यापार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा, कुंडों और गरम झरनों में स्नान करना भी प्रमुख आकर्षण था।
आजादी के बाद, मेले का स्वरूप बदलने लगा। सरकार के सहयोग से मेले का आयोजन होने लगा और इसमें धीरे-धीरे आधुनिकता का समावेश होता गया। आज, मकर संक्रांति मेला राजगीर के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है। इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं।
स्नान, संस्कृति और आस्था का संगम
मकर संक्रांति (मकर मेला) के पावन पर्व पर, श्रद्धालु सूर्योदय से पहले ही गरम झरनों और पवित्र कुंडों में स्नान करने के लिए पहुंच जाते हैं। यह माना जाता है कि इस पवित्र स्नान से न केवल शरीर, बल्कि आत्मा का भी शुद्धिकरण होता है। स्नान के बाद, श्रद्धालु भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। लोक नृत्य, संगीत और नाटक जैसी प्रस्तुतियां मेले के वातावरण को और भी जीवंत बना देती हैं। बच्चे झूले, चरखे और मीठे व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। कुल मिलाकर, मेला एक ऐसा अवसर है जहां आस्था, संस्कृति और मनोरंजन का अद्भुत मेल होता है।
आधुनिकता के साथ परंपरा का संरक्षण
हालांकि समय के साथ मेले का स्वरूप बदल गया है, लेकिन प्राचीन परंपराओं को आज भी जीवित रखा गया है। स्नान, पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रम आज भी मेले के प्रमुख आकर्षण हैं। मेला आयोजक यह सुनिश्चित करते हैं कि आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों को भी संरक्षित किया जाए।
राजगीर के पर्यटन को बढ़ावा देने में मेले का योगदान
मकर संक्रांति मेला न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि राजगीर के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देता है। इस मेले के दौरान, शहर के होटल और गेस्टहाउस पर्यटकों से भर जाते हैं। स्थानीय दुकानदारों और शिल्पकारों को भी अपने उत्पाद बेचने का एक अच्छा अवसर मिलता है।
इस प्रकार, राजगीर का मकर संक्रांति मेला धर्म, संस्कृति और आर्थिक विकास का एक अनूठा संगम है। यह सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखते हुए आधुनिकता को भी अपनाता है। यह मेला न केवल राजगीर के लोगों के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है।
राजगीर के मकर संक्रांति मेले के रंग-बिरंगे पहलू
स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाएं: मकर संक्रांति का त्योहार स्वादिष्ट व्यंजनों के बिना अधूरा है। मेले में, आपको स्थानीय व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला का आनंद लेने का अवसर मिलता है। तिलकुट, गुड़ की खीर, खजूर, पकौड़े, लिट्टी-चोखा और पंचमृता जैसे पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें। मेले में कई दुकानें हैं जो इन स्वादिष्ट व्यंजनों को परोसती हैं।
शॉपिंग का स्वर्ग: खाने-पीने के अलावा, मेला खरीदारी के शौकीनों के लिए भी एक स्वर्ग है। यहां आपको हस्तनिर्मित हस्तशिल्प, पारंपरिक कपड़े, मूर्तियां, पेंटिंग और अन्य स्मारिका वस्तुएं मिलेंगी। ये वस्तुएं न केवल सुंदर हैं, बल्कि राजगीर की संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व भी करती हैं। मेले में सौदेबाजी करने का भी मजा ले सकते हैं!
पिकनिक का आनंद लें: मेले के दौरान, राजगीर के आसपास के कई सुंदर स्थानों पर पिकनिक मनाने का भी अवसर है। सोन भंडार गुफा, रत्नगिरी और पावापुरी जैसे ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों पर जाकर प्रकृति की सुंदरता का आनंद लें। ये स्थान मकर संक्रांति के उत्सव के दौरान और भी खूबसूरत हो जाते हैं।
यात्रा की जानकारी: राजगीर पहुंचना आसान है। पटना हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जो लगभग 85 किलोमीटर दूर है। राजगीर रेलवे स्टेशन भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और कई प्रमुख शहरों से ट्रेनें चलती हैं। यदि आप सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो राष्ट्रीय राजमार्ग 80 आपको सीधे राजगीर ले जाएगा।
सुरक्षा और सावधानी: हालांकि मेला आम तौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन भीड़-भाड़ के कारण जेबकतरी जैसी घटनाओं की संभावना रहती है। इसलिए अपने सामान का ध्यान रखें और अजनबियों से सावधान रहें। मेले में पेयजल और शौचालय की सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन आपको कुछ अतिरिक्त पानी और स्नैक्स साथ लाने की सलाह दी जाती है।
अंतिम शब्द: राजगीर का मकर संक्रांति मेला एक ऐसा अनुभव है जिसे जीवन में कम से कम एक बार जरूर लेना चाहिए। यह परंपरा, संस्कृति, भोजन और मनोरंजन का एक अनूठा मिश्रण है। तो इस साल मकर संक्रांति पर, राजगीर की यात्रा की योजना बनाएं और इस ऐतिहासिक मेले का आनंद उठाएं!
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