बिहारशरीफ। पटना में किताब की दुकानें खुल गयीं, पर नालंदा अब तक किताब की दुकानें नहीं खुली। छात्र किताब के बिना पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। अभिभावकों में बेचैनी है। उनके बच्चों को भविष्य का क्या होगा। महिनों से बंद गोदामों में लाखों रुपये की किताबें अब बर्बाद होने लगी हैं।
वहीं नालंदा प्रशासन किताब की दुकानें खोलवाने में कोई पहल नहीं कर रहा है। कई बार किताब दुकानदार और स्कूल संचालक प्रशासन से मिलकर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ किताब की दुकान खुलवाने की गुहार लगा चुके हैं।
पटना प्रमंडल आयुक्त संजय अग्रवाल के निर्देश पर पटना में सप्ताह में तीन दिन किताब की दुकानें खोली जा रही है। 59 दिनों से लाखों बच्चों का पठन- पाठन किताब, कॉपी, कलम व स्टडी मेंटेरियल के अभाव में ठप है। जागरूक अभिभावक स्कूल प्रबंधक से मिलकर अपने बच्चों को किताब उपलब्ध कराने का आग्रह कर रहे हैं।
लेकिन स्कूल संचालक प्रशासन के आदेश के इंतजार में बैठे हुए हैं। नतीजतन किताब की कमी से घर में बंद बच्चों में नकारात्मक मानसिकता पनपने के भय से अभिभावक चिंतित होने लगे हैं।