नालंदा| पावापुरी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में कोरोना मरीज़ों के लिए की गयी व्यवस्था की पोल खुल गयी। विम्स (Vardhman Institute Of Medical Sciences) में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। इसमें सिर्फ कोरोना पॉजिटिव भर्ती हैं। लेकिन, जो भर्ती हैं वे भगवान भरोसे हैं। वार्ड में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों को ड्यूटी के अनुसार चिकित्सक देखरेख करते हैं। लेकिन, पॉजिटिव मरीज़ों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाएँ नदारद हैं।
इसी मेडिकल कॉलेज में पदस्थापित करीब आधा दर्जन से अधिक डॉक्टर व सहायक प्राध्यापक भी कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। वे सभी इसी कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। इन डॉक्टरों व प्रोफेसरों को भी मूलभूत सुविधा से वंचित रखा गया है। जो पॉजिटिव मरीज पूर्व से डायबिटीज़ से पीड़ित हैं उन्हें डायबिटीज़ के अनुसार खाना भी नहीं दिया जा रहा है।
कोरोना पॉजिटिव मरीजों को बी कॉम्प्लेक्स, Vitamin-C, Vitamin-D जैसी दवाएँ भी नहीं दी जा रही हैं। संक्रमित लोग किसी तरह से बाहरी दुकान से खरीदकर दवा मंगाते हैं। सुबह के नाश्ते में अंडा, पोहा तो कभी सूजी का हलवा दिया जा रहा है। इसके अलावा सुबह-शाम चावल, रोटी, आलू की सब्जी व दाल दी जा रही है। लेकिन, डायबिटीज़ मरीजों को डायबिटीज़ के अनुसार खाना नहीं मिल रहा है।
नतीजतन, डायबिटीज़ वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों का शुगर का लेवल कंट्रोल नहीं हो रहा है। शुगर का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को स्लीपर, बाल्टी, मग, साबुन सहित अन्य जरूरत के सामान देना अनिवार्य है। लेकिन, विम्स के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों को या सब सामान नहीं दिया जा रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विम्स में कोविड-19 की देखभाल के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है।