नालंदा। बिहारशरीफ व्यापार मंडल में फर्जीवाड़े का मामला उजागर होने के बावजूद भी सम्बंधित अधिकारियों द्वारा विगत दो वर्षों से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इससे आवेदक शिवकुमार प्रसाद द्वारा मामले में विभागीय अधिकारियों पर भी मिलीभगत की आशंका व्यक्त की जा रही है। स्थानीय छबीलापुर निवासी श्री प्रसाद द्वारा वर्ष 2018 में ही बिहारशरीफ व्यापार मंडल के अध्यक्ष तथा प्रभारी प्रबंधक पर व्यापार मंडल में फर्जीवाड़ा तथा सरकारी राशि गबन करने का आरोप लगाते हुए सहयोग समितियाँ बिहार पटना को आवेदन दिया गया था।
बिहारशरीफ व्यापार मंडल
आवेदक ने आरोप लगाया था कि चुनाव जीतने की मंशा से अध्यक्ष तथा प्रभारी प्रबंधक द्वारा फर्जी आमसभा का आयोजन दिखाकर दर्जनों पुराने मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था। अध्यक्ष द्वारा मनमाने ढंग से लगभग 450 फर्जी सदस्य भी बना दिये गये थे।
मामले का खुलासा सहयोग समितियाँ बिहार पटना के निर्देश पर रहुई प्रखंड के बीसीओ द्वारा जांच किये जाने के बाद सत्य पाया गया। जांच अधिकारी ने आमसभा आयोजन कर को फर्जी करार देते हुए, नये सदस्यों का हस्ताक्षर से फर्जी बताया था। जांच अधिकारी द्वारा यह भी पाया गया कि जो भी नये सदस्य बनाये गये थे, उनकी सदस्यता शुल्क 4 रुपये प्रति सदस्य के हिसाब से आवश्यक राशि भी जमा नहीं करायी गयी थी। इसे जांच अधिकारी ने गबन का मामला पाया।
- क्या कहते हैं अधिकारी
सहायक निबंधक सहयोग समितियाँ द्वारा प्राथमिकी कराने का आदेश नहीं किया गया था। मामले की जांच करने तथा कार्यवाही करने की बात कही गयी थी ।
-सत्येंद्र कुमार प्रसाद, जिला सहकारिता पदाधिकारी, नालंदा
पांच रिमांडडर पर भी प्राथमिकी नहीं
जांच में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सहायक निबंधक सहयोग समितियाँ द्वारा जिला सहकारिता पदाधिकारी को सम्बंधित अध्यक्ष तथा प्रभारी प्रबंधक पर प्राथमिकी का आदेश दिया गया। अब तक पांच बार रिमाइंडर दिये जाने के बावजूद विभाग द्वारा इन पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है।
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