नालंदा । संवाददाता अतिक्रमण से बिहारशरीफ शहर की सूरत बिगड़ रही है। अतिक्रमण के कारण जहां-तहां जाम व जल जमाव की समस्याओं से यहां के लोगों को चलना और रहना दुश्वार होने लगा है। सड़क से नाले तक अवैध कब्जा करने की भू-माफियाओं के बीच होड़ मची है। प्रशासनिक अनदेखी के कारण सरकारी जमीनों पर भू-माफियाओं का गिरोह जहां-तहां स्थायी व अस्थायी दुकान बना रहे हैं।
शहरी क्षेत्र के 80 से 90 फीसदी जल निकासी स्रोतों पर अतिक्रमण कर उस पर दुकान व भवन बना लिया गया है। 300 फुट चौड़ी पंचाने व गोइठवां नदी शहरी क्षेत्र में प्रवेश करते ही सिमट कर तीस फुट में रह गयी है। शहर में करीब 406 पइन, नदी, तालाब व अन्य जल स्रोत हैं, परंतु वर्तमान में अधिकतर नदी व पइन नाले में तब्दील हो गये हैं।
बढती जनसंख्या से जाम की समस्या
वर्ष 2007 में बिहारशरीफ नगर निगम अस्तित्व में आया, तब से लगातार बढ़ती जनसंख्या से यहां जाम की गंभीर समस्या बन गयी है। तत्कालीन डीएम आनंद किशोर ने इस जाम से निदान दिलाने की पहल करते हुए पंचाने नदी किनारे बाइपास बनवाया। तब से उक्त नदी नाले में तब्दील हो गयी। अब इस नाले पर भी अवैध कब्जा जमाने वाले भू माफियाओं का जत्था काम कर रहा है।
वर्तमान में सोहनकुंआ, मछली मंडी, गायत्री मंदिर, वी-टू, प्रेस क्लब, जीवन ज्योति अस्पताल, डॉ ममता कोसमी के मकान, कृषि, पशुपालन कार्यालय, आशा नगर, सोहसराय निर्माणाधीन नाले पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा अभी से चालू है। 23.5 किलोमीटर वाले शहर के तीन लाख की आबादी के बीच अतिक्रमणकारियों के आगे बिना फोर्स के नगर निगम लाचार और बेबस बना हुआ है।
तीन सीओ के कार्य क्षेत्र होने से बढ़ा निगम की चुनौती
सदर, रहुई व नूरसराय सीओ के कार्यक्षेत्र तक बिहारशरीफ नगर निगम का क्षेत्र फैला है। उक्त सीओ के कार्यक्षेत्र होने और निगम के साथ उनके समन्वय स्थापित नहीं होने के कारण अतिक्रमणकारियों के खिलाफ नकेल कसने में प्रशासन बौना सबित हो रहा है। नतीजतन शहरी क्षेत्र के जल स्रोतों, सड़क व सरकारी कार्यालय के आगे वाले जमीनों पर कल अतिक्रमणकारी आसानी से कब्जा कर रहे हैं।
अतिक्रमण से बढ़ रही जल जमाव की समस्या
शहर में नाले, जल स्त्रोतों और सड़कों के आस-पास अतिक्रमण कर बनाये गये दुकानों व भवनों से जल जमाव की समस्या गंभीर रूप लेता है। आये दिन हल्की बारिश से शहर में जल जमाव की समस्या लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। संक्रीण गलियों के नाली से लेकर शहर के बढ़े नाले पर अतिक्रमण हो रहे हैं। बरसात के दिनों से लोगों की परेशानी होती है। आम दिनों से राहगीरों को चलना दुधार हो जाता है।
नाले निर्माण के साथ उस पर बढ़ रहा अतिक्रमण
जहां-जहां सड़क और नाले का निर्माण हो रहा है, उस पर वैसे-वैसे अस्थायी व स्थायी दुकान का निर्माण भी हो रहा है। शहर में नाले के निर्माण के साथ उस पर सब्जी, मुर्गा , खटाल, चाय दुकान आदि बनाये जा रहे हैं। मछली मंडी के आगे गायत्री मंदिर से पहले और बाद के मार्ग, प्रेस क्लब से होते हुए जीवन ज्योति अस्पताल के पूर्व के मार्ग, डॉ ममता कोसुमी आवास के आगे, कुर्षि, पशुपालन कार्यालय के आगे साथ ही आशा नगर से सेहसराय होते रहुई रोड पतुआना नदी तक नाले पर अतिक्रमण कर सैकड़ों दुकान बना लिये गये हैं और कुछ बन रहे हैं ।
इन सबके पीछे बड़ी-बड़ी हस्तियों का हाथ है, जो पहले गुमटी और अस्थायी दुकानदारों को बसाते हैं। फिर गलत ढंग से सरकारी व जल स्त्रोतों का कागज तैयार कर अपनी रैयती भूमि होने का दावा प्रशासन के सामने करते हैं। इसके लिए कोर्ट का रास्ता अपनाया जाता है । मछली मंडी, पैला पोखर आदि इसका ताजा उदाहरण है।
क्या कहते हैं अधिकारी
नगर आयुक्त, अंशुल अग्रवाल (बिहारशरीफ) का कहना है कि नगर निगम से संबंधित क्षेत्र के अंचलाधिकारी से समन्वय स्थापित करते हुए अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। जलजमाव के लिए अस्थायी रूप से कच्चे नाले का निर्माण पर विचार चल रहा है। इसके लिए सर्वे व निरीक्षण का काम पूरा हो गया है।