नालंदा । बिहारशरीफ करीब ढाई महीने के लॉकडाउन के बाद छूट मिली, तब मानो लोग कोरोना को भूल गये। कोरोना के खतरे को टला हुआ मानने लगे। शहर में सुबह से लेकर शाम तक भीड़ का सिलसिला खत्म नहीं होता है। कोरोना संक्रमण की जगह पर भी लोग धड़ल्ले से घूम फिर रहे हैं। दुकानदार से लेकर ग्राहक तक दुकानों में बिना मास्क लगाये आते- जाते रहते हैं।
सुबह से शाम तक बाजारों में लगी रहती है भीड़, नहीं बरती जा रही सावधानी
छोटा वाहन हो या बड़ा वाहन हो, कहीं भी मास्क का प्रयोग नहीं हो रहा है। बसों में ठूंस-ठूंस कर यात्री सवार होकर आ रहे हैं। सेल्फ डिस्टैंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। बाजारों में लगाये गये चाट, समोसा, लिट्टी, छोला भटूरा के ठेलों पर लगी दुकानों पर लोग इस तरह भीड़ लगाकर खाते नजर आते हैं, तनिक भी सोशल डिस्टैंसिंग का भी ख्याल नहीं रहता है।
सतर्कता। मास्क लगाकर ही घर से निकलें
ऐसा नजारा शहर के बिजली खंदक, खंदकपर, पुलपर, भरावपर, आलमगंज, अंबेर मोड़, सोहसराय तिराहा, अस्पताल चौराहा आदि जगहों पर लगने वाली भीड़ काफी डरावनी लगती है। यहां तक की दुकानों पर लोग सामान खरीदने आते हैं, वहां भी ना तो लोग मास्क पहने रहते हैं और न ही सैनिटाइजर का उपयोग हो रहा है। जबकि, जिले की स्थिति बहुत ही खराब है।
जिले में लगातार कोरोना संक्रमित पॉजिटीव मरीज मिल रहे हैं। भीड़ में से ली गयी रेंडम सेंपलिंग में भी कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। बाजारों में लोग संक्रमण से बचाव के उपाय को दरकिनार कर रहे हैं। वहीं, शहर में आम दिनों की तरह जाम लगना नियति बन गयी है। पुलिस प्रशासन भी लोगों के रवैया से परेशान होकर रोकना टोकना बंद कर दिया है।
सोशल डिस्टैंसिंग का पालन ही है बचाव का उपाय
बाजारों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और जिला प्रशासन की ओर से कोई भी सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है। किसी भी स्थल पर भीड़ न लगाने के लिए प्रशासन की ओर से गाइडलाइन जारी की गयी है, लेकिन यह जारी गाइडलाइन सिर्फ कागज पर ही सिमट कर रह गयी है।
बस मालिक हो, ऑटो मालिक हो या दुकानदर हो। जिला प्रशासन का कोई भी आदेश मानने को तैयार नहीं है। जिला प्रशासन के सभी नियमों को ताक पर रखकर लोग कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे में झोंक रहे हैं। आम लोग भी सचेत नहीं हो रहे हैं।
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