NALANDA बिहारशरीफ | मानव जीवन को सुरक्षित रहने के लिए पानी अत्यंत आवश्यक है। पानी की का रता के लिए नदियों का होना जरूरी है। बिहारशरीफ शहर से होकर गुजरने वाली पंचाने नदी इन दिनों अस्तित्व के संकट के दौर से गुजर रही है। गंदगी, कूढ़े, कचरों का ढेर व अतिक्रमण के कारण यह पंचाने नदी दिनों दिन सिकुड़ती जा रही है।
इसकी वजह से बरसात के दिनों में नदी में पानी का बहाव शुरू होते ही शहर समेत दो प्रखंडों के लोगों के लिए अभिशाप बन जाती है। सैकड़ों परिवारों को राहत शिविरों में शरण लेना पड़ता है। शहर के अलावा बिहारशरीफ एवं रहुई प्रखंडों के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाता है। सैकड़ों हेक्टेयर में लगी फसलें बाढ़ के पानी में डूबकर बर्बाद हो जाती हैं।
- नदी में पानी आने पर सैकड़ों परिवारों को राहत शिविरों में लेनी पड़ती है शरण
- 200 फुट से अधिक व पाट वाली यह नदी कहीं- कहीं हो गयी है 20 से 25 फुट चौड़ी
- पंचाने नदी में चल रही कई प्रोजेक्ट
बरसाती नदी है पंचाने
जिले की सभी नदियां बरसाती हैं। सभी का उद्गम स्थल झारखंड राज्य की पहाड़ियां हैं। बरसात के दिनों में जब झारखंड में अच्छी बारिश होती है, तभी इन नदियों में जल की धारा देखने को मिलती है। बरसात के तीन-चार महीनों को छोड़कर पंचाने नदी सूखी रही रहती है। नदी के सूखे रहने के कारण अक्सर अतिक्रमण होता रहता है।
कोई नदी को जोतकर फसल लगा देता है, तो लोग कूड़ा-कचरा भी इसमें डालते रहते हैं। इसके अलावा नदी में जहां-तहां थोड़ा भी पानी है, वहां जलकुंभी का डेरा है। इसक कारण नदी की गहराई लगातार छिछली होती जा रही है। इसकी वजह से नदी में थोड़ा भी पानी आने पर बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। नदी का पानी घरों व खेतों में घुसने लगता है।
नदी का पाट 200 फुट से हो गयी 20 फुट
नदी में लगातार हो रहे अतिक्रमण से उसकी पाट कहीं 400 फुट है तो कहीं 200 फुट और कहीं-कहीं 20 फुट तक हो गयी है। बिहारशरीफ शहर व उसके आसपास की स्थिति दयनीय है। नदियों में मकान बना लेने व कह मिट्टी भरकर अतिक्रमण कर लिया गया है। इससे शहर में यह नदी काफी संकीर्ण हो गयी है। नदी के संकीर्ण हो जाने से बरसात के मौसम में जबकि तेज धारा बहती है तो पानी को निकलने का रास्ता नहीं मिल पाता है। इसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ता है।
पंचाने नदी में चल रही कई प्रोजेक्ट
यहीं नहीं जिला प्रशासन व नगर निगम के कई योजनाएं पंचाने नदी की भूमि पर ही चल रहे हैं। पंचाने नदी में कोसुक गांव के पास खिर फ्रंट बनाने का कार्य वर्षों पूर्व शुरू किया गया था। इनमें नदी के किनारे में मिट्टी भरकर रंग बिरंगे व मनमोहक फूल के पौधे लगाने के साथ बोटिंग की व्यवस्था की जानी थी। इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी वर्षों से इस योजना का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।
अब इस अधूरी योजना के बारे में न तो जिला प्रशासन के अधिकारी बात करते हैं और न इसको पुरा करने का प्रयास किया जा रहा है। अब एक बार फिर से इसी पंचाने नदी में देवीसराय पुल से वियावानी गांव तक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रिवर फ्रंट बनाने की योजना तैयार की जा रही है। इन सब योजनाओं से नदी और सिकुड़ जायेगी।
पेयजल संकट को दूर करने में है अहम रोल
शहरवासियों के पेयजल संकट दूर करने में पंचाने नदी की अहम भूमिका है। नदी में पानी आने से शहर समेत नदी के आस पास के गांवों का भू-जल स्तर बेहतर हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान जब जिले में बारिश नहीं हुई थी। तब शहर समेत आस-पास के गांव व टोले का भू-जल स्तर 90 फुट से ज्यादा नीचे चला गया था । शहर में तो भू-जल स्तर 20 फुट तक नीचे चला गया था। पिछले वर्ष नदी में पानी आने से जल स्तर में सुधार हुआ है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जयदेव प्रसाद, कार्यपालक अभियंता (बाढ़ प्रमंडल, नालंदा) कहते हैं कि पंचाने नदी के हो रहे अतिक्रमण पर नजर है। समय-समय पर जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है और नदी भूमि से अतिक्रमण हटाया जाता है। नदी की उड़ाही के लिए सैनिक है स्कूल के पास दो किलोमीटर उड़ाही की योजना बनाकर विभाग के पास भेजा गयाहै। स्वीकृति अभी नहीं मिली है। स्वीकृति मिलने पर काम शुरू किया जायेगा।
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