नालंदा न्यूज़। किसानों की परेशानी और चुनौती दिन- ब-दिन कम होने की जगह बढ़ती जा रही है। लंबे लॉकडाउन, बेमौसम बारिश के बाद अब जिले की गरमा फसल, मूंग, मक्का, सब्जी, फल-फूल आदि फसलों पर टिड्डी दल बड़ा अटैक कर सकता है। यह राजस्थान से होते हुए मध्य प्रदेश के समीपवर्त क्षेत्र होते हुए यूपी की ओर बढ़ रहे हैं।
बिहार में पहुँच सकता है टिड्डियों का समूह
कृषि मंत्रालय ने यूपी के सीमावर्ती जिले के माध्यम से इन टिड्रियों के दल को बिहार में पहुंचने की आशंका जतायी है। टिड्डियों का समृह एक दिन में करीब 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। ये फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इस आशंका से पौधा संरक्षण विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इनमें टिड्डियों से बचाव की जानकारी दी गयी है।
कृषि विभाग ने जारी किया एडवाइजरी
एडवाइजरी में कहा गया है कि टिड्ढी दल दिखायी देने पर खेतों के बगल में घास-फूस व लकड़ी जलाकर धुआं करें। टिड्डी दल दिखायी देने पर थाली, टीन बजाकर आवाज करना चाहिए, इस आवाज से टिड्ढी काफी डरते हैं। वे खेत को नुकसान नहीं पहुंचायेंगे। डरपोक स्वभाव का ग्रेगेरियल कीट होने के कारण से वह समूह में रहते हैं।
टिड्डी दल से कैसे करें इससे बचाव
किसानों को बिना डरे खेत के आसपास रहकर पेड़-पौधों की निगरानी करनी चाहिए। कीटनाशक के रूप में क्लोरोपाइटीफास 50 को 200 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। रात 11 बजे से सुबह 8 बजे तक रसायन का छिड़काव करना चाहिए।
टिड्डी दल दिखने पर दे प्रशासन को इसकी सूचना
कहीं भी टिड्ढी मिलने पर इसकी सूचना किसान ग्राम सेवक, कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी, कृषि समन्वयक, प्रखंड कृषि अधिकारी समेत अन्य अधिकारी को दे सकते हैं, ताकि विभाग उस क्षेत्र में जाकर नियंत्रण के लिए कार्य कर सके। टिड्डियों का दल 15 से 20 मिनट में ही फसल की पत्तियों को पूरी तरह खाकर नष्ट कर देता है।
टिड्डे रात में फसलों पर अधिक अटैक करते हैं। ये टिट्ठी दल रात को झाड़ियों, पेड़ों पर विश्राम करते हैं। सुबह के समय तापमान 15-25 डिग्री सेंटीग्रेड होता है, तो उड़ना शुरू करते हैं। इनकी झुंड 05-200 किलोमीटर की रफ़्तार से उड़ती है। यह 1800 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं।