नालंदा | कोरोना से बचाव के लिए जिले में कई तरह के कार्य किये गये। इनमें क्वारंटाइन से लेकर आइसोलेशन वार्ड, सामुदायिक किचेन समेत एक दर्जन से अधिक कार्य किये गये। एक आंकलन के अनुसार सभी कार्यों को मिलाकर महामारी से बचाव के लिए जिले में 15 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये। जिले में 74 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर चलाये गये।
- 40 हजार प्रवासियों को दी गयी डिग्निटी किट
- जिले में 74 दिनों तक चले क्वारंटाइन सेंटर
क्वारंटाइन सेंटर में 40 हजार को किया गया भर्ती
हालांकि, सरकार के आदेश से अब क्वारंटाइन सेंटरों को बंद कर दिये गये हैं। सिर्फ बिहारशरीफ में आइसोलेशन सेंटर संचालित है। यहां कोरोना पॉजिटिव लोगों का इलाज किया जाता है। प्रथम चरण के लॉकडाउन से अनलॉक होने तक जिले में 200 से अधिक से क्वारंटाइन सेंटर चलाये गये। आपदा विभाग की माने तो क्वारंटाइन सेंटर में 40 हजार को भर्ती किया। इसमें अधिकतर बाहर से आने वाले लोग ही शामिल थे।
आपदा प्रबंधन पदाधिकारी संतोष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एक डिग्निटी कीट में एक हजार रुपये का सामान लोगों को दिया जाता था। इसमें एक बाल्टी, मग, गमछा, बेडशीट, मच्छरदानी, नहाने-धोने का साबुन, ब्रश, पेस्ट, तेल, सैंपू, धोती, महिला को साड़ी, गंजी, जांघिया, सेनेटाइजर, मास्क समेत अन्य सामान किट में होते थे।
सामुदायिक किचेन से 3.48 लाख को खिलाया गया खाना
माहामारी से बचाव के लिए आइसोलेशन-क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती होने वाले लोगों को तीन टाइम खाना दिया जाता था। सुबह में नाश्ता, दोपहर में खाना व रात में खाना इसके साथ ही इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए दूध, फल तो कभी जूस वगैरह।
माहामारी में भूख से किसी की मौत नहीं हो इसके लिए पूरे लॉकडाउन अवधि से लेकर 68 दिनों 3 लाख 48 हजार 144 लोगों को खाना खिलाया गया। शहर के 22 केंद्रों पर सामुदायिक किचेन चलाया गया। 27 मार्च से शुरू होकर 02 जून तक सामुदायिक किचेन संचालित किया गया। जिला कल्याण पदाधिकारी पदाधिकारी सुशील कुमार सिन्हा ने बताया कि इस दौरान दो टाइम में 3 लाख 48 हजार 144 लोगों को खाना खिलाया गया।