नालंदा रिपोर्टर हरनौत । मनरेगा की योजना राशि में गड़बड़ी की शिकायत आम हो चुकी है। लेकिन, हरनौत के गरभुचक गांव में बुधवार को अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों ने इस योजना की पोल ही खोलकर रख दी। मजदूर की जगह जेसीबी से काम कराने का भंडाफोड़ हुआ।
रात में जेसीबी तो दिन में मजदूरों से कराया जा रहा काम
यह भी पता चला कि रात में जेसीबी से काम कराया जाता है और दिन में मजदूरों से। गांव के लोगों ने इसकी शिकायत मंगलवार की रात में बीडीओ से की। बुधवार की सुबह प्रखंड प्रमुख रेखा देवी, मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी शिव नारायण लाल, पंचायत रोजगार सेवक अनुराधा कुमारी व जेई कार्यस्थल पर पहुंचे। लोगों ने बताया कि उस वक्त मजदूर जेसीबी आने-जाने के निशान मिटाने में जुटे थे।बावजूद, कई स्थानों पर जेसीबी का निशान था। पीओ ने यह कहकर मौन साध ली कि हमें जेसीबी का निशान पहचानने नहीं आता है।
गांव के लोगों ने इसकी शिकायत बीडीओ से की थी
मामले को तुल पकड़ता देख डीएम योगेन्द्र सिंह को फोन किया गया। उन्होंने मामले की जांच के लिए कार्यस्थल पर मनरेगा के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार गुप्ता व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बिट्टू कुमार सिंह को भेजा। डीपीओ ने बताया कि मामले की अभी बारीकी जांच की जा रही है। लेकिन, प्रथमदृष्ट्या यह साबित हो गया कि कार्यस्थल के पास जेसीबी गयी थी। जेसीबी जाने-आने का निशान स्पष्ट पहचान में आ रहा था।
63 हजार की लागत से बनाना है तालाब
गरभूचक गांव के ब्रह्मदेव बिंद की पत्नी शांति देवी के नाम से तालाब खुदवाने की योजना मनरेगा से ली गयी है। तालाब निर्माण का प्राक्कलन भी बना लिया गया। 63 हजार की लागत से तालाब बनवाने की अनुमति मनरेगा कार्यालय से दी गयी है। ताकि, आर्थिक संकट में मजदूरों को गांव में काम दिया जा सके। मंगलवार की रात तालाब निर्माण में जेसीबी चलाकर खुदाई की गयी। इसकी शिकायत रात में ही मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी, बीडीओ व जिला स्तरीय अधिकारियों से की गई।
जांच रिपोर्ट का इंतजार
अधिकारियों को सूचना देने के बाद मामले में लीपापोती की जाने लगी। बुधवार की सुबह जन प्रतिनिधियों व अधिकारयों ने तालाब निर्माण का जायजा लिया। उस समय जेसीबी का निशान मिटाने के लिए एक दर्जन से अधिक मजदूर कुदाल चला रहे थे। पीओ ने बताया कि अब मामले की जांच रिपोर्ट जिलास्तरीय अधिकारी देंगे। फिलहाल काम रोक दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो निर्देश होगा उसका पालन किया जाएगा।
प्रमुख ने कहा-जेसीबी जाने का था निशान
प्रखंड प्रमुख रेखा देवी ने बताया कि जेसीबी से तालाब निर्माण कराने का मामला स्पष्ट है। जेसीबी का निशान मिटाने के लिए एक दर्जन मजदूरों को लगाया गया। ताकि, सच्चाई पर पर्दा डाला जा सके। जेसीबी का निशान मिटा रहे मजदूरों का जॉब कार्ड भी नहीं बनाया गया था। बगैर जॉब कार्डधारी मजदूर को इतना भी पता नहीं था कि काम करने के बदले हर दिन कितनी मजदूरी मिलेगी। राजद के प्रखंड अध्यक्ष संजीत कुमार यादव रायजी ने बताया कि सरकार मजदूरों को रोजगार देने के उद्देश्य से मनरेगा योजना चला रही है। ऐसे में जेसीबी से काम कराने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। और मजदूरों को सही काम मिले।
क्या कहते हैं अधिकारी
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मनरेगा का कहना है की कार्यस्थल पर जेसीबी जाने का निशान पाया गया है। मामले की फिर से बारीकी जांच करायी जा रही है। योजना के सभी कागजात खंगाले जाएंगे। आखिर कार्यस्थल पर जेसीबी क्यों ले जायी गयी थी। जबकि, इस योजना में जेसीबी का कोई रोल नहीं है। ग्रामीणों की शिकायत प्रथमदृष्ट्या सही पायी गयी है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।