दीपक विश्वकर्मा | आज मुझे अपने उम्र का एहसास उस वक्त हुआ जब मेरे गोद में खेलने वाला नन्हा सा बालक आज 42 वर्ष का हो गया। दरअसल 22 जुलाई को हमारी धर्मपत्नी स्वर्गीय कल्पना शर्मा श्रद्धांजलि के मौके पर हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था और रजनीकांत उसमें शामिल हुआ। मैं अपनी पत्नी के कार्यक्रम में इतना मशगूल था कि मुझे याद ही नहीं था कि जो मेरे सामने खड़ा है उसका आज जन्म दिन है।
मैंने उसके जन्मदिन पर उपहार स्वरूप सैनिटाइजर, पेन और तुलसी के पौधे भेंट किए। दरअसल रजनीकांत बिहारशरीफ के महल पर निवासी स्वर्गीय डॉक्टर लाला एमपी सिंहा के द्वितीय पुत्र स्वर्गीय रामाकांत सिन्हा उर्फ लाली के एकमात्र पुत्र हैं ।बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे रजनीकांत की प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया डीएवी पब्लिक स्कूल में हुई उसके बाद ग्रेजुएशन नालंदा कॉलेज बिहार शरीफ से किया।
संगीत से रुचि रखने वाले रजनीकांत ने प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से संगीत विशारद करने के बाद फार्मा इंडस्ट्री में कदम रखा और 7 वर्षों तक कार्य करने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने दिशा स्पोकन इंग्लिश कोचिंग की शुरुआत की यहां भी रजनीकांत का दिल नहीं लगा और इसमें शिक्षा जगत को छोड़ने के बाद पत्रकारिता की जगत में कदम रखा और 2009 में दैनिक जागरण जैसे लोकप्रिय समाचार पत्र में बतौर संवाददाता के रूप में काम करने लगे।
पत्रकारिता में आने के बाद उन्होंने मासिक पत्रिका भी निकाली उसके बाद आर्यावर्त समाचार पत्र भी निकाला। पत्रकारिता के दौरान रजनीकांत को सोशल मीडिया से ज्यादा पॉपुलर हुए सोशल मीडिया का अगर नालंदा में नाम आता है तो सबसे ज्यादा पोस्ट किसी का आया हो तो वह रजनीकांत हैं। सभी से मिलने जुलने वाले रजनीकांत का जीवन अब अपने बच्चों के लिए समर्पित है।
पत्नी निजी स्कूल की शिक्षिका हैं रजनीकांत के जीवन का एक और मोड़ आया उसमें इसने अपना रुख अध्यात्म की और मोड़ दिया और अध्यात्म का भी खासा अनुभव हासिल हो चुका है। बड़ों की इज्जत करना छोटे को प्यार करना रजनीकांत की खासियत है। रजनीकांत की लक्ष्मी स्वरूपा उनकी मां स्वर्गीय सुनीता सिन्हा मुझे भी बेटे सा प्यार दिया या नहीं उनके पापा और मम्मी मेरे जीवन के अभिन्न अंग हैं जिन्हें मैं कभी भुला नहीं सकता।