Nalanda News | ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों से भरपूर बिहारशरीफ शहर (Biharsharif Smart City) में कभी तालाबों की भरमार थी। कभी बिहारशरीफ को तालाबों का शहर (City of Ponds Biharsharif) भी कहा जाता था। पंचाने नदी (Panchane River in Nalanda) की एक शाखा शहर के बीच से गुजरी थी। बिहारशरीफ शहर में करीब दो दर्जन तालाब थे, लेकिन छह सात दशकों में बिहारशरीफ से करीब एक दर्जन तालाब पूरी तरह गायब हो चुके हैं। जहां कभी तालाब थे, कहां आज बड़े-बड़े इमारतें और अपार्टमेंट (Large buildings and apartments in Biharsharif) बन गये हैं। जो तालाब बचे हैं अतिक्रमण के कारण काफी सिकुड़ गये हैं। शहर व उसके आसपास तालाबों के संबंध में 1916 के नक्शे के अलावा कोई प्रामाणिक दस्तावेज नहीं है।
बिहारशरीफ में तालाबों के अस्तित्व खत्म होने से शहरों में बढ़ा पेय जल संकट
इसलिए इनकी संख्या ठीक-ठीक बताना मुश्किल है। वर्तमान समय में शहर में करीब 15 तालाब हैं, जहां छठ व्रत के अवसर पर अर्घ्य दिये जाते हैं, इनमें मणिराम अखाड़ा (Maniram Akhara Talab) , पक्की तालाब, धनेश्वर घाट (Dhaneshwar Ghat Talab), पैला पोखर, शिवपुरी शिव मंदिर तालाब, इमादपुर तालाब, अंबेर मोड़ तालाब, लालो पोखर, डीएम आवास (DM Nalanda) के पास, हड़िया पोखर, हौज बब्बर, तालाब आदि तालाब अब भी बचे हुए हैं।
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पूरे नालंदा जिले में था करीब 3500 तालाब : यह स्थिति केवल शहर की नहीं है, पूरे जिले की स्थिति भी यही है। पूरे जिले में छह-सात दशक पहले तक छोटे-बड़े सभी मिलाकर करीब 3500 तालाब (3500 Ponds in Nalanda District) हुआ करते थे। पिछले दो दशकों के दौरान नालंदा जिले में तालाबों का तेजी से अतिक्रमण हुआ है। कई तालाबों को भरकर खेत बना लिया गया तो कई तालाबों पर मकान बना लिये गये।
सरकार का ध्यान नहीं होने से स्थिति बदतर : बुजुर्गों की मानें तो लंबे समय से तालाबों का अतिक्रमण किया जा रहा है। तालाबों के अतिक्रमण (Encroachment of Ponds in Biharsharif) के कई कारण रहे हैं। जमीन की कीमत आसमान छूना, गांवों से शहर की तरफ आबादी का पलायन, जनसंख्या में इजाफा आदि कारण रहे। लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से तालाबों को भरने लगे, लेकिन इसका किसी ने विरोध नहीं किया।
तालाब की जमीन पर बन गये हैं आलीशान भवन
भौगोलिक संरचना का होता है योगदान : शहर के तालाब के पीछे वहां की भौगोलिक संरचना का योगदान होता है। मुख्य रूप से तालाब तीन वजहों से होते हैं। पहली वजह वहां बसी आबादी के लिए सालों भर पानी की उपलब्धता है। दूसरी वजह शहर में कृत्रिम ढाल पैदा करना है। तालाबों को खोद कर उसकी ऊंची मिट्टी पर आबादी बस जाती है। तीसरी वजह है बाढ़ के समय शहर की ओर आने वाली पानी को जमा करना है।
शहर बसने से पानी की समस्या गहरायी : तालाबों के अतिक्रमण और उस पर मकान बन जाने से शहर में पानी की समस्या गहराने लगी। गर्मी के दिनों में शहर के कई इलाकों में पेयजल की किल्लत पैदा हो जाती है। तालाबों को पाट दिये जाने से भू-जल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से जल स्तर दिनों-दिन नीचे चला जा रहा है। पहले जो पानी सात आठ फुट पर मिल जाती थी, आज 40-45 फुट नीचे पानी मिलता है। प्रो संजय कुमार बताते है कि जब भू-जल स्तर रिचार्ज नहीं होता है और लगातार पानी को निकाला जाता है, तो मिट्ठी की दो परतें आपस में मिल जाती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
बिहारशरीफ शहर में जो तालाब वर्तमान समय में हैं उनका सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। तालाबों को संरक्षित रखने के लिए नगर निगम कार्य कर रही है। तालाबों को संरक्षित रखने के लिए नगर निगम व स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बिहारशरीफ (BIHARSHARIF SMARTCITY) की ओर से हर संभव कदम उठाये जा रहे है। तालाबों को साफ-सुथरा रखने के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
– तरणजोत सिंह, नगर आयुक्त – बिहारशरीफ नगर निगम
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यह रिपोर्ट मूल रूप से प्रभात खबर दैनिक अख़बार में पहले प्रकशित की जा चुकी है.